पं बिरजू महाराज की नातिन भी भोजपुरी में : रवि किशन

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भोजपुरी सुपर स्टारों में अकेले रविकिशन ऐसे हैं जो ट्रेंड एक्टर हैं. बाकी गायकी के रास्ते फिल्मों में आये हैं. रविकिशन अब अपने प्रोडक्शन हाउस को मजबूत करने में लगे हुये हैं ताकि अपनी पसंद की अच्छी फिल्में बना सकें. पिछले दिनों इसी कड़ी में उन्होंने फिल्म ’पंडित जी बर्ताइं न ब्याह कब होई’ का महूर्त अपने माता-पिता के हाथों कराया. इस मौके पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश :

आप एक्टर के साथ-साथ निर्माता भी बन गये. इसके पीछे कोई खास वजह? क्या अपनी मर्जी की फिल्म बनाना चाहते हैं?
बतौर एक्टर आप अन्य निर्माताओं के साथ, उनकी स्क्रिप्ट पर काम करते हैं. उसमें आपकी पसंद से ज्यादा उनकी पसंद काम करती है. यह जरूरी भी है. हर किसी का अपना-अपना आइडिया होता है. उसमें अगर मैं दखल दूं तो यह ठीक नहीं है. लेकिन क्रिटिक्स को कौन रोकेगा? वे जो देखते हैं, उसपर अपना कमेंट करते हैं. मैं उनके सुझावों पर गौर करता हूं. दरअसल वे दर्शकों की आवाज होते हैं. कभी-कभी मुझे लगता है कि कुछ फिल्में अपनी होनी चाहिये जहां आप अपने मन की बात कह सकते हैं. इसी वजह से मैंने भी अपना प्रोडक्शन हाउस खोला हुआ है. पहले भी दो फिल्में बना चुका हूं ’बिहारी माफिया’ और ’सत्यमेव जयते’. अब एक और फिल्म बना रहा हूं ’पंडितजी बताई न व्याह कब होई. इस नाम की एक फिल्म बन चुकी थी. उसमें मैं और नगमा थे. यह उसका पार्ट-2 है. इसमें मैंने एक नई लड़की को ब्रेक दिया है. वह है सिंझिनी, जो कथक गुरू पं. बिरजू महाराज की नातिन (नवासी) हैं. वह भी क्लासिकल डांसर है. फिल्म में वह गांव की लड़की है. मेरा किरदार मोटर मैकेनिक का है. यह म्युजिकल लव स्टोरी फिल्म है. इसकी शूटिंग उ. प्र. के भदोही में हो रही है और रिलीज जनवरी में होगी.

पं. बिरजू महाराज के परिवार का नाम जुड़ने से भोजपुरी को तो फायदा ही होगा?
सिनेमा चाहे किसी बोली या भाषा की हो, वह इंडस्ट्री और कला-क्षेत्र दोनों है. कोई इसमें पैसे कमाने आता है तो कोई अपनी कला का प्रदर्शन करने. भोजपुरी से दिलीप साहब, बच्चन साहब, धर्मेन्द्र, अजय देवगन, हेमा जी, जया जी आदि भी जुड़े. उन्होंने फर्क नहीं किया हिन्दी और भोजपुरी में. भोजपुरी उनसे सम्मानित हुई. यहां साउथ की हीरोइनों ने भी काम किया है. भोजपुरी एक ऐसी इंडस्ट्री है जहां नयों को ज्यादा ब्रेक मिलता है. मैंने खुद अपनी फिल्मों में कई नई हीरोइनों को मौका दिया. अब वे सब व्यस्त हैं. शायद सिंझिनी भी अपना नाम स्थापित कर लें. सिनेमा में काम मिलने भर की देर होती है. जिसमें टैलेंट है, उसे कोई रोक नहीं सकता. ट्रेंड होने भर की देर होती है. भोजपुरी में रीजल्ट मिलने में देर नहीं लगती है. मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव, पवन सिंह, खेसारी लाल आये और छा गये. ये लोग गायकी के रास्तें आये. उन्हें गांव-गांव के लोग जानते थे. इसलिये सिनेमा के पर्दे पर भी वैसा ही स्वागत किया. भोजपुरी सिनेमा के बड़े होने की ही पहचान है कि बिग बॉस में यहां के स्टारों को बुलाया जा रहा है. उसका फायदा भोजपुरी को भी मिल रहा है. दुनिया इसे जानने लगी है.

आप राजनीति और फिल्म-दानों जगह सक्रिय है. लोग आपके बारे में टिप्पणी कर रहे हैं कि आप ना इधर के रहे, न उधर के?
बोलने वालों की जुबान तो मैं बंद नहीं कर सकता. मुझे जितना प्यार फिल्मों से है उतना ही राजनीति से. यह अलग बात है कि पिछला लोक सभा चुनाव मैं हार गया मगर इससे हैसियत कम नहीं हो गई. मेरे रिश्ते जितना कांग्रस से है, उतना ही भाजपा से भी है. सबके साथ उठना, बैठना होता है. संभव है, अगला चुनाव मेरे लिये कुछ अच्छा हो जाये. जहां तक फिल्मों का सवाल है, मेरी सात हिन्दी और पांच भोजपुरी फिल्में आ रही है. हिन्दी में ’देशी मैजिक’, ’मि. टनकपुर हाजिर हो’, ग्लोबल बाबा ’तथा’ मोहल्ला असी’ प्रमुख हैं. एक मराठी फिल्म मध्यम वर्ग भी आने वाली है. भोजपुरी में बाजीगर, छोरा गंगा किनारे वाला’, ’नगीना’, ’प्रेम विद्रोही’ तथा ’रक्त भूमि’ आ रही है. मैं तो कहूंगा कि इधर भी हूं और उधर भी. राजनीति और फिल्म-दोनों मेरी जरूरत है और दोनों के लिये मैं भी जरूरी हूं. दोनों को इंज्वाय कर रहा हूं. हमेशा पॉजिटिव रहता हूं. अपनी हर लड़ाई को खुद ही लड़ता हूं.


(अर्चना उर्वशी)

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